कैसी लिखी तक़दीर मौला
पानी पे खिंची लकीर मौला
हँसते-हँसते भूल गया वो
अश्कों की तासीर मौला
मुझ में, तुझ में, सब में वो है
गाता गया फ़कीर मौला
जितना बाँटू, बढ़ता जाये
दिल तो बड़ा अमीर मौला
26 बरस की सीधी गुड़िया
आँखें बड़ी शरीर मौला
अबके बरस वो मिल जाये मुझको
कर कुछ ये तदबीर मौला
पानी पे खिंची लकीर मौला
हँसते-हँसते भूल गया वो
अश्कों की तासीर मौला
मुझ में, तुझ में, सब में वो है
गाता गया फ़कीर मौला
जितना बाँटू, बढ़ता जाये
दिल तो बड़ा अमीर मौला
26 बरस की सीधी गुड़िया
आँखें बड़ी शरीर मौला
अबके बरस वो मिल जाये मुझको
कर कुछ ये तदबीर मौला
7 comments:
:)
Regards
Harshita
last nite, i actually considered asking you "dubara poetry likhne ka kya loge?" and today this.. :-)
its lovely! And to your poem.. Ameen!
you my dear twson will definitely get your hearts wish ...ahem!
nice one!
Very ameer khusrau-ish lines...loved them....we have a lot to discuss...someday inshallah!
beautifully done!
Really sweet :)
wow, so sweet !!
हमारी दुआ है आपको आपकी मंजिल, आपकी ख्वाइश मिल जाए.
खुदा से कहने का अंदाज़-ए-बयां इतना ख़ूबसूरत होगा, तो भला वो कब न सुनेगा.
खूबसूरत!
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