Wednesday, October 06, 2010

एक ख़त टाटा इंडिकॉम के नाम

अभी रहते हैं वो दोनों
दूर एक दूसरे से
दो शहरों का
दो घरों का
फासला है दरम्याँ उनके

बस एक अनदेखी सी डोर है
बांधे रखती है जो उन्हें
डोर बातों की
और बातें दुनियाभर की
आज का दिन कैसा रहा
बातें स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, दोस्ती, ज़िन्दगी की

अभी दूर रहते हैं वो दोनों एक दूसरे से
मिल पाते हैं हफ्ते में सिर्फ एक बार
तभी वो लड़का और वो लड़की
रोज़ रात को बात करते हैं फ़ोन पर

तुम अगर 'नेटवर्क' ठीक कर लो थोड़ा और अपना
तो ये डोर टूटे न कभी

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4 comments:

ADITI said...

sweet :) very very sweet one it is!! and something that goes on very regularly in the day to day life :)

Anonymous said...

ek dor network ki jo rishte ko baandhti hai!
Very beautifully put!

Ash said...

Bahut acchha!

Anonymous said...

this was cute !!! :))

dreamt before

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