आजकल नहाते समय,
गीता की बड़ी याद आती है
पानी के प्रथम स्पर्श से ही
देह तो नश्वर है की गूँज आती है
आत्मा का क्या है,
वो तो अजर है, अमर है
न उसे पानी भिगोता है,
न आग जला पाती है
पर बाथरूम की
महीन झिर्रियों से आती हवा
इस देह को
बेहद सताती है
हे कृष्ण, तुम तो कह गए:
कर्म करो और फल की चिंता न करो
पर इस मौसम में देवी रजाई की सिखाई,
अकर्मण्यता ही ज्यादा भाती है
आजकल नहाते समय,
गीता की बड़ी याद आती है
आत्मा अमर, देह नश्वर,
तो नहा के क्या होगा का पाठ पढ़ाती है
कहत कवि 'आदि'
नहाना तो सिर्फ है बहाना
मन साफ़ रखने की कला,
अब किसे आती है
15 comments:
:)
बहुत खूब....
फेसबुक पर शेयर करने जा रहा हूँ...
Your seasonal poems with those hidden remark...
Jai ho !
loved the last stanza Adee :)
wow mazaa aa gaya :D
shekhar: shukriya :) don't forget to tag me!!!
apo: :D
suru: shukriya ji!
बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने कवी आदि जी|पढके मज़ा आ गया| सर्दी पूरे साल का सबसे लुभावना मौसम होता है| ये तो सब जानते हैं परन्तु आपने इस मौसम को जिस दृष्टिकोण से देखा है वो एकदम अद्भुत है| नहाने की गीता से तुलना करना बिलकुल लीग से हटके कुछ करने के सामान है|
धन्यवाद ये कविता लिखने के लिए.
लिखते रहे,
बर्डी :)
The last stanza is superb :)
Ahem... toh Kavi Adee.. What was that which inspired thee to write a Post on *bathing* #DilliKiSardi is it?? :P May it be anything.. I toh louved it.. specially these lines........
"हे कृष्ण, तुम तो कह गए:
कर्म करो और फल की चिंता न करो
पर इस मौसम में देवी रजाई की सिखाई,
अकर्मण्यता ही ज्यादा भाती है"
Keep it coming Aadinaath.. :)
kya sahi!!!
now THIS feels like Adee... Absolut Adee...
birdie: once again, thanks for the amazing comment. matches the spirit of my poem :D
nidhi: thank you :)
MS: stalkernath, i toh will keep it coming, and keep u tagging/tweeting/bugging as well :D glad u liked it :)
Howdy: two-two comments? ;) shukriya for the comments. lagta hai aapka khoya hua adee wapas aa gaya hai :D
Kya baat hai Adee! Waah!
u bet!!!
niki: hehe :) thanku thanku
howdy: :D
वाह - क्या बात है - सुंदर
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